पेच घुमाना, मुहावरा तरकीब से मन फेरना, दूसरे को प्रेरित करना।
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अगर उन्हें कल्पना के प्रति सच्चे रहना है तो फिर वास्तव से तो मन फेरना ही होगा, क्योंकि वास्तव तो जिस चीज़ को वह छूते हैं यही पाते हैं कि निरी मिट्टी है, और मिट्टी को ही प्यार करें, तो फिर कल्पना बिचारी क्या हो? किसी भी बड़े कवि का जीवन ले लो, उसकी सारी ज़िन्दगी एक खोज है जिसका नतीजा केवल इतना है ही कि ‘ नहीं ' ।